भारत में लोकतंत्र एक प्राचीन अवधारणा है। भारत में इतिहास के आरंभिक दौर से ही शासन में लोगों की राय या इच्छा को शामिल करना, शासन का केंद्रीय हिस्सा रही है। भारतीय लोकाचार के अनुसार लोकतंत्र में सद्भाव,पसंद की स्वतंत्रता, विभिन्न विचारों को रखने की स्वतंत्रता, स्वीकार्यता, लोगों के कल्याण के लिए शासन और समाज में समावेशिता के मूल्य शामिल हैं।
प्राचीन उपलब्ध पवित्र ग्रंथों ऋग्वेद और अथर्ववेद में सभा, समिति और संसद जैसी सहभागी संस्थाओं का उल्लेख है, जिनमें से अंतिम शब्द अभी भी प्रचलन में है, जो हमारी संसद को दर्शाता है। इस भूमि के महान महाकाव्य रामायण और महाभारत भी निर्णय लेने में लोगों को शामिल करने की बात करते हैं। भारतीय लोकतंत्र वास्तव में सत्यता, सहयोग, शांति, सहानुभूति और लोगों की सामूहिक शक्ति का उत्सवी उद्घोष है।