लोकतंत्र जिंदाबाद

लोकतंत्र जिंदाबाद

भारत में लोकतंत्र एक प्राचीन अवधारणा है। भारत में इतिहास के आरंभिक दौर से ही शासन में लोगों की राय या इच्छा को शामिल करना, शासन का केंद्रीय हिस्सा रही है। भारतीय लोकाचार के अनुसार लोकतंत्र में सद्भाव,पसंद की स्वतंत्रता, विभिन्न विचारों को रखने की स्वतंत्रता, स्वीकार्यता, लोगों के कल्याण के लिए शासन और समाज में समावेशिता के मूल्य शामिल हैं।

प्राचीन उपलब्ध पवित्र ग्रंथों ऋग्वेद और अथर्ववेद में सभा, समिति और संसद जैसी सहभागी संस्थाओं का उल्लेख है, जिनमें से अंतिम शब्द अभी भी प्रचलन में है, जो हमारी संसद को दर्शाता है। इस भूमि के महान महाकाव्य रामायण और महाभारत भी निर्णय लेने में लोगों को शामिल करने की बात करते हैं। भारतीय लोकतंत्र वास्तव में सत्यता, सहयोग, शांति, सहानुभूति और लोगों की सामूहिक शक्ति का उत्सवी उद्घोष है।

आपातकाल लागू होने के 50 वर्ष (50 YEARS OF IMPOSITION OF EMERGENCY)

25 जून 1975 को आपातकाल लागू होने से भारतीय इतिहास में लोकतंत्र के काले दिनों की शुरुआत हुई। आपातकाल के दौरान, नागरिक स्वतंत्रता पर कठोर प्रतिबंध लगाए गए थे, जिसके कारण मौलिक अधिकारों का निलंबन किया गया, प्रेस सेंसरशिप लागू किया गया और राजनीतिक विरोधियों को कारावास की सज़ा दी गई थी।

भारत सरकार ने हर साल 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाने का फैसला किया है। यह दिन उन सभी लोगों के बड़े योगदान को याद करेगा जिन्होंने 1975 के आपातकाल के दौरान अमानवीय दर्द को सहन किया था।

इस वर्ष 25 जून, 2025 को आपातकाल लागू होने के 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं। भारत सरकार इस अवसर को उन लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए मना रही है, जिन्होंने सत्ता के घोर दुरुपयोग के खिलाफ संघर्ष किया और भारत के लोगों से यह वादा किया कि वे भविष्य में किसी भी तरह से ऐसी घटना का समर्थन नहीं करेंगे।

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आपातकाल लागू होने का घटनाक्रम

वर्ष 1975

12 जून
  • इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने रायबरेली निर्वाचन क्षेत्र की तत्कालीन विजेता को चुनावी कदाचार का दोषी पाया। दोषी पाए जाने पर, उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया और छह साल के लिए निर्वाचित पद पर रहने से रोक दिया गया।
22 जून
  • उच्च न्यायालय के फैसले के बाद प्रतिदिन सरकार विरोधी प्रदर्शनों का आह्वान करने के बाद विपक्षी नेताओं ने एक सार्वजनिक रैली को संबोधित किया।
24 जून
  • सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले पर सशर्त रोक लगा दी, जिससे तत्कालीन प्रधानमंत्री को उनकी अपील की समीक्षा होने तक प्रधानमंत्री के रूप में बने रहने की अनुमति मिल गई।
25 जून
  • जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में, दिल्ली में एक बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ। आधी रात से कुछ मिनट पहले, राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद द्वारा आपातकाल की घोषणा की गई। प्रमुख समाचार पत्रों के कार्यालयों की बिजली आपूर्ति काट दी गई और विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।
26 जून
  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आपातकाल लगाने के निर्णय की पुष्टि की।
28 जून
  • टाइम्स ऑफ इंडिया ने लोकतंत्र के लिए एक श्रद्धांजलि प्रकाशित की, इंडियन एक्सप्रेस ने एक खाली संपादकीय छापा जबकि फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने टैगोर की कविता ‘व्हेयर द माइंड इज विदाउट फियर’ छापी।
30 जून
  • आंतरिक सुरक्षा अधिनियम (MISA) को एक अध्यादेश के माध्यम से संशोधित किया गया ताकि किसी भी व्यक्ति को बिना किसी मुकदमे के हिरासत में लिया जा सके जो विपक्ष की आवाज़ उठाकर राजनीतिक खतरा पैदा कर सकता ।
1 जुलाई
  • आर्थिक और सामाजिक सुधार के लिए 20-सूत्री कार्यक्रम पेश किया गया।
5 जुलाई
  • कई राजनीतिक संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
23 जुलाई
  • राज्यसभा ने आपातकाल को मंजूरी दे दी।
24 जुलाई
  • लोकसभा ने भी आपातकाल पारित कर दिया।
5 जुलाई
  • आंतरिक सुरक्षा अधिनियम लागू किया गया।

वर्ष 1976

4 मई
  • किशोर कुमार के गाने ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन पर बजाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
1 सितंबर
  • जनसंख्या नियंत्रण के लिए अनिवार्य नसबंदी कार्यक्रम शुरू किया गया।
2 नवंबर
  • भारत के संविधान में 42वां संशोधन पारित किया गया। इसने कानूनों की संवैधानिक वैधता निर्धारित करने के लिए न्यायपालिका की शक्ति को कम कर दिया और प्रधानमंत्री कार्यालय को अत्यधिक शक्तियाँ देकर लोकतंत्र को सीमित कर दिया। इस संशोधन ने संविधान के मूल ढांचे को बदल दिया।

वर्ष 1977

18 जनवरी
  • नए लोकसभा चुनावों का आह्वान।
  • राजनीतिक कैदियों को रिहा किया गया।
20 जनवरी
  • लोकसभा भंग कर दी गई।
24 जनवरी
  • तत्कालीन सरकार के खिलाफ विपक्ष के कई सदस्य एकजुट हो गए।
11 फरवरी
  • तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद की पद पर रहते हुए मृत्यु हो गई।
16 मार्च
  • आपातकाल लागू होने से तत्कालीन सरकार की चुनावों में हार हुई।
  • एक नवगठित पार्टी और उसके गठबंधन सहयोगी सत्ता में आए।
21 मार्च
  • तत्कालीन सरकार ने आपातकाल आधिकारिक रूप से हटा लिया।

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